वर्ष 40:अंक 24 II 1- 15 अगस्त 2017
जागर और बसंती
मंगला कोठियाल लुप्त प्रायः होते ‘जागर गीतों‘ के अब जागरण का समय आ गया है। जागर सम्राज्ञी देवाल निवासी बसंती बिष्ट गत 20 वर्षों से राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर जागरों की प्रस्तुति दे रही हैं। उत्तराखण्ड लोक-संगीत से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाली बसंती बिष्ट को इस वर्ष पùश्री सम्मान मिला। गत दिनों […]
ईमानदार अधिकारी से भयभीत होते विधायक
केशव भट्ट मंगेश घिल्डियाल के मासूम चेहरे और शर्मीले स्वभाव से यह लगता नहीं कि निर्णय लेने में वे इतने सख्त हो सकते हैं। उन्हें सिर्फ अपने काम से मतलब रहता है। जनता के लिए हर हमेशा सुलभ रहने वाले ये आई.ए.एस. अधिकारी आजकल कुमाऊँ-गढ़वाल में जनता के दिलोदिमाग में छाए हुए हैं। उनके तबादले […]
उमेश डोभाल की 27वीं याद
ललित कोठियाल 27वां उमेश डोभाल स्मृति समारोह 29 व 30 अप्रैल को चम्पावत जनपद के बनबसा (टनकपुर) में सम्पन्न हुआ। पहले दिन शाम को एन.एच.पी.सी. के ऑडिटोरियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए और 30 तारीख को मुख्य कार्यक्रम हुआ। बीच तक चले इस समारोह में पत्रकारों की अच्छी भागीदारी रही और कई बिन्दुुओं पर सार्थक विचार […]
त्याड़ज्यू से गै छा हो ?
चारू तिवारी रात के साढ़े बारह बजे उनका फोन आया। बोले, ‘‘त्याड़ज्यू से गै छा हो ?’’ एक बार और फोन आया। मैंने आँखें मलते हुये फोन उठाया। सुबह के चार बजे थे। बाले- ‘‘त्याड़ज्यू उठ गै छा हो।’’ उनका फोन कभी भी आ सकता था। कोई औपचारिकता नहीं। मुझे भी कभी उनके वेवक्त […]
स्मृतिशेष: चारुचन्द्र पांडे
प्रभा पंत 6 जनवरी की शाम को 94 वर्ष की भरी-पूरी आयु में इस दुनिया को अलविदा कह गये चारुचन्द्र पांडे एक ऐसे साहित्यकार रहे, जिन्हें अपनी जिन्दगी में लगातार दुःख मिले, मगर जिन्होंने सारी उम्र अपने-परायों के लिये काम किया। उनकी इस भलमनसाहत के लिये वे जीवन में भी लोगों के प्रिय रहे और […]
रघुनंदन सिंह टोलिया: एक बड़ी प्रतिभा का जाना
शेखर पाठक 23 नवम्बर को जब हमने अन्तिम बार टोलिया जी के अन्तिम दर्शन किये तो वे नींद में थे। मैं समझ गया कि अब उनकी यादें, किताबें, उनके काम, पुरानी बहसें और फोटो ही यादगारी के लिये रह जायेंगी। उससे पहले जब 22 सितम्बर को मैं उनसे मिलने गया था तो सोचा था कि […]
अनुपम मिश्र तो अनुपम ही थे
शमशेर सिंह बिष्ट 19 दिसम्बर को अनुपम मिश्र के देहान्त के साथ देश ने एक अनुपम और अमूल्य व्यक्ति और उत्तराखंड ने अपना एक हितैषी और मित्र खो दिया। यह बात बहुत से लोग जानते होंगे कि अनुपम मिश्र की ‘अब तक खरे हैं तालाब’ और ‘राजस्थान की रजत बूँदें’ बेहद लोकप्रिय किताबें हैं। शायद […]
जनता के साथ खड़े रहने को ही तो वे देशद्रोह कहते हैं!
मृत्युंजय भास्कर (देशद्रोह के आरोप में साढ़े छह साल से कानपुर जेल में बंद रहे 73 वर्षीय शिवराज सिंह बगड़वाल अभी 23 अगस्त को जमानत पर छूटकर पर बाहर आये हैं। उन्हें यह रिहाई स्वास्थ्य कारणों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हासिल हुई। कुछ दिन पूर्व जब मैं उनसे हल्द्वानी में मिलने पहुँचा […]
सूर्यप्रताप सिंह से अब भी क्यों डरते हैं वे ?
विशेष प्रतिनिधि उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव की चर्चा के बीच दो रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारियों के नामों ने नई रंगत पैदा कर दी है। एक हैं प्रदेश के निवर्तमान मुख्य सचिव राकेश शर्मा, जिनके पोस्टर किच्छा क्षेत्र में लगने शुरू हो गये हैं। राकेश शर्मा अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार के अनेक विवादों में घिरे रहे, […]
वे एक सच्चे बौद्धिक श्रमिक थे…
आशुतोष उपाध्याय डॉ. राम सिंह से मेरा परिचय उनके बड़े बेटे भरत (स्व. भारत बंधु) के मार्फत हुआ था। हाईस्कूल के आगे की पढ़ाई के लिए मैं 1978 में पिथौरागढ़ पहुंचा था और हमारा परिवार उनके करीब ही रहने लगा। यह संयोग ही था कि एक जैसी रुचियों के कारण हम दोनों के पिताओं की […]
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