वर्ष 40:अंक 24 II 1- 15 अगस्त 2017
सम्पादकीय
‘आधार कार्ड’ को लेकर सरकार की भ्रम फैलाने की कोशिश जारी है। 24 अगस्त को निजता के अधिकार के बारे में सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ का सर्वसम्मत निर्णय आने के बाद सरकार के रवैये में सावधानी और लचीलापन आ जाना था, क्योंकि आधार भी अन्ततः निजता का ही एक प्रकार है। मगर […]
सम्पादकीय
जी.एस.टी. (गूड्स एंड सर्विस टैक्स) लागू होने में मात्र एक महीना बचा हुआ है और व्यापारियों में हड़कम्प मचा हुआ है। किसी को नहीं मालूम कि आगे क्या होना है। सच तो यह है कि विभागीय अधिकारी भी यह नहीं समझ पाये हैं कि जी.एस.टी. क्या है और इसे कैसे लागू किया जायेगा। यह तो […]
सम्पादकीय
देश लगातार नाकामयाबियों, बल्कि विघटन की ओर जा रहा है और हम देशवासी हैं कि चैन की वंशी बजा रहे हैं। ऐसा क्यों ? ऐसा इसलिये क्योंकि हमारे दिमाग में यह भर दिया गया है कि जो कुछ हो रहा है, वह सब हमारे भले के लिये है। नोटबन्दी को लें। अधिसंख्य लोगों को यह […]
सम्पादकीय
छत्तीसगढ़ के सुकमा में माओवादियों ने 24 अप्रेल को एक बार फिर से घात लगा कर हमला कर सी.आर.पी.एफ. के 26 जवानों की हत्या कर दी। 7 साल पहले भी इसी अप्रेल के महीने और लगभग इसी इलाके में माओवादियों ने 76 जवानों की हत्या की थी। तब हमने ‘आजादी बचाओ आन्दोलन’ के संयोजक डॉ. […]
सम्पादकीय
कॉरपोरेट मीडिया ने सरकारी दावों की पड़ताल करने की अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है। मोदी सरकार तीन साल पहले भारी संख्या में रोजगार पैदा करने के वायदे के साथ सत्ता में आयी थी। मगर सरकारी रोजगार रिपोर्ट के मुताबिक अर्थव्यवस्था के 8 मुख्य क्षेत्रों में अप्रैल-अक्टूबर 2016 में सिर्फ 1 लाख […]
सम्पादकीय
देश में हिन्दुत्व के फासीवाद के रूप में उभार की पृष्ठभूमि में उत्तराखंड की नव निर्वाचित त्रिवेन्द्र रावत सरकार यों तो बहुत उत्साह नहीं जगाती, मगर प्रदेश की जनता की हजारों उम्मीदें तो उस पर टिकी हुई हैं ही। सबसे बड़ी बात यह है कि त्रिवेन्द्र रावत पर एक बीज घोटाले के छींटे भले ही […]
सम्पादकीय
चुनावों को लोकतंत्र का महापर्व कहा जाने लगा है। चुनावों के माध्यम से हमें सरकार चलाने के लिये प्रतिनिधि चुनने का अधिकार मिलता है। यह बात अलग है कि राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार चुनने में ही इतनी गड़बड़ कर देते हैं कि जनता के लिये विकल्प चुनना मुश्किल हो जाता है। इस साल चुनाव आयोग […]
सम्पादकीय
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिये रणभेरी बज ही गई है। इस घोषणा से सबसे ज्यादा उत्साह मीडिया को है, सबसे अधिक पछतावा राज्य आन्दोलनकारियों को होगा और सबसे ज्यादा चिड़चिड़ाहट जनता को। मीडिया के लिये चुनाव धंधा करने का एक जोरदार मौका होता है। उसे सैकड़ों प्रत्याशियों से विज्ञापनों के साथ-साथ उस पैकेज का ढेर […]
सम्पादकीय
एक पुराना वर्ष जा रहा है और एक नया वर्ष आ रहा है। एक बार फिर हम समय के संक्रान्ति काल में हैं। इस बार यह सिर्फ दीवार पर टँगा कैलेंडर बदलने जैसा साधारण अवसर भी नहीं है। इस जाते हुए साल के आखिरी दिनों में नोटबन्दी ने पूरे देश की हुलिया खराब कर दी […]
संपादकीय
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने ‘पोस्ट ट्रुथ’ को ‘वर्ष 2016 का अन्तर्राष्ट्रीय शब्द’ घोषित किया है। यह शब्द इस साल पिछले साल के मुकाबले 2000 प्रतिशत बार अधिक प्रयोग किया गया। क्या है यह ‘पोस्ट ट्रुथ’ या ‘उत्तर सत्य’ या कि ‘सत्य के आगे’ ? इसका अर्थ बतलाया गया है, ‘‘उन परिस्थितियों से सम्बन्धित जिनमें जनमत तैयार […]
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