वर्ष 40:अंक 24 II 1- 15 अगस्त 2017
आपदा के जख्म अभी भरे नहीं हैं पिंडर घाटी में
केशव भट्ट ‘‘इन हटों में तो ताले लटके पड़े हैं, इस बर्फबारी में अब कहाँ रुकें ? ताले तोड़ डालें क्या ?’’ मेरे मित्र भारत भूषण ने नाराजगी भर कर कहा। तभी एक आवाज आई, ‘‘यहाँ ऊपर आ जाइये। यहाँ एक पुराना रसोई वाला कमरा खुला है।’’ ये एक रिटायर्ड फौजी व अध्यापक दिगम्बर सिंह […]
पर्ल नदी के डेल्टा के शहर में . 2
पार्वती जोशी दूसरे ही वर्ष जब बच्चों का तबादला चीन के ही प्रसिद्ध शहर ग्वांवझोऊ होगया था, तो हमें 2015 और 2016 में फिर से चीन की यात्रा का अवसर मिला। यह शहर क्षेत्रफल की दृष्टि से बीजिंग के शंघाई के बाद चीन का तीसरा बड़ा शहर है। यह शहर केन्टोन क्वांगचो के नाम से […]
फटफटिया से यात्रा भी कम मजेदार नहीं होती !
विनीत फुलारा बहुत दिनों से मन उचाट सा था। मैंने अपने अंतर्मन से पूछा कुछ दिन अवकाश के लिए तो उसने इस बार एकदम से स्वीकृति दे दी। जाओ एक हफ्ते के लिए घूमकर आओ। पृथ्वी ’लक्ष्मी’ राज सिंह दा को पिछले साल जाते हुए देखा था तो इस बार मैंने भी मन बना ही […]
कैसे जायें पिंडारी,कफनी,मैक्तोली ग्लेशियर ……..3
केशव भट्ट सुंदरढूँगा। नाम से ही जाहिर है, ‘सुनहरा या सुंदर पत्थर’। किंवदन्ती हैं कि इस ग्लेशियर के नजदीक एक बड़े पत्थर के पास से सोने के कण निकलते थे। एक अनवाल (भेड़-बकरियों का चरवाहा) ने ग्लेशियर से निकलने वाली नदी में अपने कपड़े धोये तो उसके कपड़े में सोने के चमकते कण चिपके मिले। […]
कैसे जायें पिण्डारी, कफनी, मैक्तोली ग्लेशियर – 2
केशव भट्ट पिंडारी से छाँगूच, नंदा खाट, बल्जुरी के साथ ही नंदाकोट के भव्य दर्शन होते हैं। अंग्रेज शासक ट्रेल के नाम पर प्रसिद्ध ‘ट्रेल पास’, जो पिंडारी ग्लेशियर को जोहार के मिलम घाटी के ल्वाँ गाँव से जोड़ता है, एक साथ ही अद्भुत और भयानक है। इस दर्रे को पार करने के लिए पर्वतारोही […]
कैसे जायें पिंडारी,कफनी,मैक्तोली ग्लेशियर
केशव भट्ट पिंडारी ग्लेशियर जाने वाले ट्रेकिंग के शौकीन अकसर परेशान रहते हैं। गूगल के साथ ही अन्य जगहों से उन्हें जो आधी-अधूरी जानकारी मिलती है, उससे वे पिंडारी के बारे में अपने दिमाग में स्विट्जरलैंड की तरह का एक अलग ही कोलाज बना लेते हंै। मसलन पिंडारी ग्लेशियर के नजदीक तक मोटरेबल रोड है, […]
जड़ें तलाशता यात्रा वृतांत
अनिल कार्की हिमाली कुकसाल का यात्रा संस्मरण ‘वाह उत्तराखंड’ मात्र संस्मरण न होकर अपनी जड़ों और जमीनों की तरफ लौटते युवा होते पहाड़ की खुद को पहचानने और जानने की यात्रा भी है। मैंने कहीं सुना था कि मनुष्य और जानवर में जो मलभूत अन्तर है वह है स्मृतियों का अपनी आने वाली पीढ़ी को […]
अगर उत्तराखण्ड के गाँवों को बचाना है तो…
अनिल कुमार जोशी गाँव बचाओ अभियान के सदस्यों ने जौनासार में सहिया नामक स्थान से देहरादून, उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पौड़ी, नैनीताल, चम्पावत, पिथौरागढ़, उधमसिंह नगर व हरिद्वार के लगभग 818 गाँवों में नुक्कड़ सभायें और परिचर्चा तथा 150 से अधिक गाँवों में सीधे जन संवाद करके 15 अक्टूबर 2015 को देहरादून में […]
सितम्बर में लेह-लद्दाख – 4 : काश, अंग्रेज भारत को दो साल बाद आजाद करते !
केशव भट्ट वापस हाऊसबोट पहुँचने में शाम हो गई। लाल चैक पर कुछ हंगामा हो रहा था। एक शिकारे वाले ने बताया कि ऐसी घटनायें तो अब यहाँ की रोजमर्रा की जिंदगी में शुमार हंै। गोलियों की आवाजें भी कभीकभार सुनाई ही पड़ जाती हैं। हमारे हाऊस बोट के मालिक मोहम्मद अशरफ को सब मिट्ठा […]
नुब्रा घाटी ना जाने का मलाल रहा….
पिछला भाग टैंट के अंदर सुबह की धुँधली रोशनी फूटी तो बाहर निकल आया। नीचे, सड़क के उस पार फौजी जवान अपने कामों में व्यस्त थे। कुछ घंटों के बाद कँपकपाता हुआ सूरज भी निकल आया। ठंड से हमारी गाड़ी जकड़ गई थी। बोनेट खोल कर, उसमें गर्म पानी डाल उसे धूप के दर्शन कराए। […]
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