वर्ष 40:अंक 24 II 1- 15 अगस्त 2017
ये कर्नल साहब भी ‘कच्चे’ निकले..
योगेश भट्ट उत्तराखंड में नैतिक मूल्यों के तो मानो कोई मायने ही नहीं रहे। ऐसे में निराशा के अंधेरे में उम्मीद का कोई दीप जले भी तो कैसे ? कर्नल अजय कोठियाल को ही लीजिए। अभी उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी मंजूर भी नहीं हुई और वह पहले ही सियासत की ‘लेफ्ट-राइट’ करने लगे। केदारनाथ […]
कश्मीर में जो हो रहा है. 5
(युवा पत्रकार राहुल कोटियाल की कश्मीर पर सिलसिलेवार रपटें सत्याग्रह.कॉम में प्रकाशित हुई थीं जिन्हें हम यहाँ साभार प्रकाशित कर रहे हैं। प्रस्तुत है इस सिलसिले की पांचवी कड़ी । – संपादक) करीब 11 बजे का समय हुआ है और ट्रेन कश्मीर के सबसे खूबसूरत, सबसे बड़े स्टेशन- श्रीनगर पहुँच चुकी है। कई अन्य लोगों […]
उत्तराखण्ड में वैकल्पिक राजनीति के लिए विमर्श-2 :सपने टूटते हुए देखते रहेंगे या कुछ नया प्रयोग करेंगे?
नवीन जोशी उत्तराखण्ड में वैकल्पिक राजनीति यानी साफ-सुथरी और जनहितैषी राजनैतिक पार्टी की सम्भावना है, ऐसा हम मान कर चल रहे हैं। यह मानने का आधार राज्य के बिगड़ते हालात में है। मूलतः जिस पहाड़ और पहाड़ी जनता की सतत उपेक्षा से पृथक राज्य की मांग उठी, लड़ाई लड़ी गयी, बलिदान दिये गये, जो सपने […]
ईमानदार अधिकारी से भयभीत होते विधायक
केशव भट्ट मंगेश घिल्डियाल के मासूम चेहरे और शर्मीले स्वभाव से यह लगता नहीं कि निर्णय लेने में वे इतने सख्त हो सकते हैं। उन्हें सिर्फ अपने काम से मतलब रहता है। जनता के लिए हर हमेशा सुलभ रहने वाले ये आई.ए.एस. अधिकारी आजकल कुमाऊँ-गढ़वाल में जनता के दिलोदिमाग में छाए हुए हैं। उनके तबादले […]
कश्मीर में जो हो रहा है
(युवा पत्रकार राहुल कोठियाल की कश्मीर पर सिलसिलेवार रपटें सत्याग्रह.कॉम में प्रकाशित हुई थीं जिन्हें हम यहाँ साभार प्रकाशित कर रहे हैं। राहुल ने इसमें कश्मीर को उत्तराखंड के बरक्स रख कर देखने की कोशिश की है। – संपादक) उत्तराखंड और कश्मीर में कम ही सही, लेकिन समानताएँ हैं। दोनों ही पहाड़ी राज्य हैं। दोनों […]
उत्तराखण्ड में वैकल्पिक राजनीति के लिए एक विमर्श
{हिन्दुस्तान, लखनऊ के सम्पादक पद से सेवानिवृत्त, ‘दावानल’ जैसे उपन्यास के यशस्वी लेखक और आन्दोलनकारी नवीन जोशी की यह टिप्पणी उन सब पाठकों के लिये हैं जो उत्तराखंड के हालातों से बेजार हैं, मगर अभी उम्मीदें नहीं छोड़ बैठे हैं। नवीन का और उनके साथ हम सबका मानना है कि उत्तराखंड की बेहतरी के लिये […]
सवार की लगाम घोड़े के हाथों में
इन्द्रेश मैखुरी दो पी.सी.एस. अफसरों के प्रकरण में कई दिनों तक जो नाटक चला, उसने उत्तराखड मंे प्रख्ंाड बहुमत से सत्तानशीन हुई सरकार और उसके मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत की पोल खोल दी। एक दिन बडे़ जोर शोर से ऐलान हुआ कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने दो पी.सी.एस. अफसरों, ललित मोहन रयाल और डॉ. मेहरबान […]
लाल बत्ती हटने से क्या होगा ?
विनोद पांडे केन्द्र सरकार के वी.आई.पी. व्यक्तियों के वाहनों की लाल बत्तियाँ हटाने के आदेश को इस तरह से देखा जा रहा है, मानो शक्तिशाली और सुविधासम्पन्न वर्ग के लोगों को एक ही झटके में जन सामान्य के स्तर पर ले आया गया हो। यह नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली है जो आम जनता को लगातार […]
नई सरकार: पुरानी बोतल में नई शराब
शमशेर सिंह बिष्ट उत्तराखंड में जनता ने कई तरह के दुष्प्रचार के कारण, भावनाओं में बह कर भले ही भारतीय जनता पार्टी को अपार बहुमत दे दिया हो, मगर शुरूआती घटनाओं से साबित हो गया है कि त्रिवेन्द्र रावत की यह सरकार किसी भी रूप में कांग्रेस की पिछली भ्रष्ट सरकार से बेहतर नहीं होने […]
बहुत जरूरी है उमेश डोभाल समारोह का जीवन्त होना
राजीव लोचन साह उमेश डोभाल समारोह इस वर्ष 30 अप्रेल को टनकपुर में मनाया जा रहा है। इन दिनों मैं दिनों बार-बार सोच रहा हूँ कि उमेश की हत्या के लगभग तीस साल बाद उमेश को याद करने का आखिर क्या अर्थ है ? क्या सिर्फ यही कि हम कुछ लोग जो उमेश को जानते […]
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