पुरुषोत्तम शर्मा
28 जनवरी को हाथों में लाल झंडे लिये, तनी हुई मुठ्ठियों साथ लालकुआं (नैनीताल) की सड़कों पर जब हजारों किसानों का जलूस निकला, तो देखने वाले दंग हो गये। जो उम्रदराज थे, उनकी जुबान पर एक ही वाक्य था, ‘‘80 के दशक की याद ताजा हो गयी।’’ मौका था बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनाए जाने के खिलाफ अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा आहूत किसान महापंचायत का। 19 दिसंबर 2014 को राज्य सरकार ने बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनाने की अंतरिम अधिसूचना जारी की तो किसान महासभा ने इसके खिलाफ अगले ही दिन से आन्दोलन शुरू कर दिया। 70 के दशक से शुरू हुए और 1986 तक चले उत्तराखंड के अब तक के सबसे बड़े भूमि दखल आन्दोलन से लगभग 11 हजार एकड़ वन भूमि में बसे बिन्दुखत्ता के किसान राजस्व गाँव व जमीन पर मालिकाना हक की माँग पिछले तीन दशक से करते आये हैं। सन् 1980 के बाद अब तक भाकपा (माले) और किसान संगठन इस संघर्ष की अगुवाई करता रहा है। यही कारण था कि नगरपालिका के बनाने के खिलाफ आवाज भी उसीने उठाई। किसान महापंचायत में हुई लगभग पाँच हजार किसानों की भागीदारी उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अब तक की सबसे बड़ी गोलबंदी थी। 21 दिसंबर को ही बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनाए जाने के खिलाफ तहसीलदार लालकुआँ के माध्यम से निदेशक शहरी विकास को लिखित आपत्ति पत्र भेज कर 24 दिसंबर को तहसील पर प्रदर्शन की घोषणा की गयी। 24 दिसंबर को 400 किसानों ने तहसील लालकुआँ पर प्रदर्शन कर लगभग 900 हस्ताक्षरों से युक्त एक आपत्ति पत्र फिर से सौंपा। इसके बाद किसान महासभा ने बिन्दुखत्ता के सभी गाँवों में किसान पंचायत कर इस आन्दोलन को व्यापक किया। इसी क्रम में 28 जनवरी को किसान महापंचायत का कार्यक्रम बना। महासभा के कार्यकर्ता पहले गाँव में जाकर लोगों से मिलते और माइक से प्रचार कर लोगों से पंचायत में आने की अपील करते। फिर किसान पंचायत होती, जिनमें गाँव की किसान महासभा की कमेटियों का गठन किया जाता। इन कमेटियों को आन्दोलन में व्यापक किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने व किसान महासभा की सदस्यता चलाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गयी। 4 जनवरी से 25 जनवरी के बीच कुल 16 पंचायतें की गयीं और किसान महासभा की 16 कमेटियों का गठन किया गया। इस दौरान लगभग 2,500 किसान महासभा के सदस्य भी बनाए गए। इस अभियान ने पूरे बिन्दुखत्ता में जबर्दस्त माहौल तैयार कर दिया। भू माफिया के हित में बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनवाने वाले स्थानीय विधायक व राज्य के काबीना मंत्री हरीश दुर्गापाल और उनके कार्यकर्ताओं ने आन्दोलन से किसानों को अलग करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। अंतिम दो दिनों में तो नगरपालिका के पक्ष में पर्चा वितरण करने, समाचार पत्रों में विज्ञापन छपाने, माले व किसान महासभा के नेताओं पर झूठे आरोप लगाने और 28 जनवरी को बिन्दुखत्ता में आधार कार्ड बनाने का कैम्प शुरू कराकर लोगों को किसान महा पंचायत में आने से रोकने की कोशिश की। पर उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। 28 जनवरी को बिन्दुखत्ता के हजारों किसानों ने कार रोड स्थित शहीद स्मारक पर किसान महापंचायत कर बिन्दुखत्ता को नगर पालिका बनाने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे तत्काल वापस लेने की माँग की। किसानों में राज्य सरकार के साथ ही हरीश दुर्गापाल के खिलाफ भी गुस्सा था। महापंचायत के बाद ये किसान नारे लगाते लालकुआँ बाजार होते हुए तहसील पर पहुँचे, जहाँ उप जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भेजा गया। किसान महापंचायत में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने ऐलान किया कि यदि सरकार ने अपनी अंतरिम अधिसूचना को एक माह के अन्दर वापस न लिया तो विधानसभा के बजट सत्र में बिन्दुखत्ता के हजारों किसान राज्य विधान सभा पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने काबीना मंत्री हरीश दुर्गापाल से इस बात का जवाब माँगा कि जब बिन्दुखत्ता की वनभूमि सेंचुरी पेपर मिल, स्लीपर फैक्ट्री, स्टोन क्रशरों, आई.टी.बी.पी. और इन्डियन आॅयल को हस्तांतरित की जा सकती है तो बिन्दुखत्ता के गरीबों को क्यों नहीं ? जब राज्य में विद्युत कंपनियों और अन्य कार्यों के लिए हजारों एकड़ वन भूमि का हस्तांतरण हो रहा है तो फिर बिन्दुखत्ता के प्रकरण में अड़चन क्यों हैै ? जबकि बिन्दुखत्ता की 98 प्रतिशत आबादी खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका चला रही है। शर्मा ने कहा कि कांग्रेसी यह नहीं बता रहे हैं कि नगरपालिका बनने से बिन्दुखत्ता का और कौन सा विकास होगा, जबकि सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाएँ बिन्दुखत्ता की जनता ने अपने आन्दोलनों के बल पर प्राप्त कर ली हैं। नगरपालिका बनने से तो लोगों की खेती व पशुपालन पर आधारित आजीविका पर खतरा पैदा हो जाएगा और इस जमीन को अपने नाम कराना उनकी ताकत से बाहर की बात होगी। तब भू माफिया कौडि़यों के भाव इस जमीन को हड़प लेगा। भाकपा (माले ) के राज्य सचिव कामरेड राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि आज पूरे देश में विकास के नाम पर किसानों की जमीन छीनने का जो अभियान चलाया जा रहा है, बिन्दुखत्ता का मामला उसी का हिस्सा है। किसान नेता बहादुर सिंह जंगी ने स्थानीय विधायक हरीश दुर्गापाल पर बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव बनाने के अपने वायदे से मुकरने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नगरपालिका बनने के बाद भूमि हस्तांतरण होने से सारी जमीन नजूल हो जाएगी, जिसके सर्किल रेट आसमान छूने लगेंगे। किसान पंचायत को भाकपा (माले) के जिला सचिव कैलाश पाण्डेय, गढ़वाल सचिव इन्द्रेश मैखुरी, चमोली गढ़वाल के किसान महासभा नेता अतुल सती, किसान महासभा के बिन्दुखत्ता अध्यक्ष भुवन जोशी, एक्टू नेता के. के. बोरा, आनंद सिंह सिजवाली, विमला रौथाण, लक्ष्मन सुयाल, शंकर जोशी, किशन बघरी, दौलत नाथ गोस्वामी, छविराम, शंकर सिंह चुफाल, राजेन्द्र शाह, महिला समूह बिन्दुखेड़ा की अध्यक्ष बसंती देवी आदि ने भी संबोधित किया। गढ़वाल से आये जन संस्कृति मंच के मदन मोहन चमोली ने गढ़वाली जनगीत ‘‘ऐ लोगो लम्बी लड़ै छा’’गा कर लोगों में जोश भर दिया।
very Good