वर्ष 40:अंक 24 II 1- 15 अगस्त 2017
अंतरात्माओं के जागने का मौसम!
“..अभी यह मीठी बयार हमारे तन-मन को सहला ही रही थी कि एक नया मौसम शुरू हो गया- अंतरात्माओं के जागने का मौसम। यह पहली वाली की ही कोख से जन्मा है। दरअसल यह नया नहीं है। गेट-अप बदल कर आया है। हम इसे पहले आस्था के रूप में भोग चुके हैं। यह उसी का […]
बरगद बनाम बोनसाई
(शंभू राणा का यह लेख पहले भी नैनीताल समाचार में प्रकाशित हो चुका है। अभी-अभी सम्पन्न विधान सभा चुनाव के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता को देखते हुए इसे पुनः प्रकाशित किया जा रहा है। – सम्पादक) आदरणीय भाई साहब, कल अखबार से पता चला कि आप जन जागरण अभियान पूरा कर लौट आए हैं। इस […]
अथ चुनाव गीता….
आजकल चुनाव में हर कोई अपने को पाक-पवित्र बताते-बताते नहीं थक रहा है. चेले-चपाटे भी सब कुछ भूल नेताजी की चुनावी वैतरणी पार करने के लिए दिन-रात एक किए बैठे हैं. अबकी बार नेताओं ने चुनाव में नया डै्स कोड बना लिया है. अदृश्य कपड़ों के साथ वो गले में प्यारी सी टाई पहन जनता […]
नोटबन्दी के सम्मोहन से इश्क
शंभू राणा जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा इन दिनों जान पड़ता है कि सम्मोहन के असर में है और साथ ही इश्क में भी मुब्तिला है। सम्मोहित आदमी वही महसूस करता है जो उसे करवाया जाता है। क्योंकि सम्मोहनकर्ता का यही निर्देश होता है। और इश्क की कैफियत का तो फिर कहना ही क्या। चारों ओर […]
बारहा खुराफातों के बाजीगर थे अक्कू मियाँ
शंभू राणा एक हुआ करते थे अकबर अली। इन हजरत के बारे में अब ये तो नहीं कह सकते कि ये अल्मोड़ा शहर की एक विभूति थे, शान थे कोई ऊँची हस्ती थे। लेकिन कुछ तो थे। एक चरित्र तो थे ही कि जिनका जिक्र आज भी प्रसंगवश गाहे-ब-गाहे लोगों की जबान पर आ ही […]
घास छिलने को ‘कुछ न करने’ का प्रतीक समझना ठीक नहीं
पिछले दिनों टिहरी जिले में आयोजित हुई घसियारी प्रतियोगिता की खबरें पढ़ते हुए मुझे कई साल पहले एक ग्रामीण महिला के मुँह से सुना आधा-अधूरा सा वाक्य अनायास ही याद हो आया। वह उम्रदराज महिला कह रही थी, ‘अब मैं क्या जानूँ, ये तो मर्दों का मामला ठहरा, मैं ठहरी बेवकूफ औरत जात…’ अपनी तीन […]
इसी को कहते हैं बात का बतंगड़ !
बात का बतंगड़ बनना किसे कहते हैं, यह इस बार मोहर्रम के दिन अल्मोड़ा में देखने को मिला। हुआ यूँ कि थाना बाजार से एक ताजिया रघुनाथ मंदिर के रास्ते नियाजगंज की ओर कुछ नासमझ नौजवान उठा कर ले आए। अल्मोड़ा में ताजियों का रघुनाथ मंदिर से आगे जाना मना है। इस बात की तत्काल […]
कचहरी जाना भी तो एक शगल है
अमूमन हर आदमी को कोई न कोई शौक- शगल- खब्त- आदत- लत होती है। फेहरिश्त काफी लंबी हो सकती है। इसमें कचहरी जाना भी शामिल है। बड़ी ही जानदार लत है। तंबाकू जैसी असरदार। कब गिरफ्त में ले लेती है, पता नहीं चलता। कचहरी भी आसानी से नहीं छोड़ती। मेरी देखा-देखी कई जवान अधेड़ हो […]
मोद्दा अब मेमोरी कार्डों में ही होंगे
लेखक: शम्भू राणा एक थे मोद्दा। बेतरतीब और उलझे हुए दाढ़ी-बाल, पोपला मुँह, फटे-पुराने जूते, जो कई बार अलग-अलग साइज और रंग के भी होते थे। तन पर दो-दो, चार-चार पैंट-कमीजें एक के ऊपर एक, हाथों में ढेर सारी पत्रिकाओं, आधे-अधूरे, नए-पुराने अखबारों का पुलन्दा। पिछले दिनों एक अन्दाजे के मुताबिक 80 से ज्यादा […]
शराब को इस नजरिये से भी देखिये
पिछले कुछ दिनों से अखबार में एक खबर बराबर छप रही है और ध्यान खींच रही है। खबर गंगोलीहाट से है कि वहाँ लोग शराब की दुकान खुलवाने के लिए आन्दोलन कर रहे हैं। एक दिन बाजार बंद हो चुका है इसी माँग को लेकर। ये हुई न खबर कि आदमी ने कुत्ते को काट […]
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