वर्ष 40:अंक 24 II 1- 15 अगस्त 2017
फ्यूंलडि़ और अंयार कुटा
अंकिता रासुरी फाल्गुन के महीने में फ्यूंली के फूल खिलने शुरू हो जाते हैं। गुच्छों के रूप में खिलने वाले ये पीले रंग फूल चैत के महीना आते-आते हर जगह नजर आने लगते हैं। सामान्यतः मुझे पीला रंग बहुत पंसद नहीं है लेकिन इसका पीलापन जिंदगी में खेतों की धूल-मिट्टी की तरह रचा बसा है। […]
चमोली में नागपुर के खदेड़ की होली
योगम्बर सिंह बर्त्वाल गढ़वाल के बारह परगनों में प्रमुख परगना नागपुर है जिसके बीच में 33 गांवों की एक पट्टी खदेड़ है इसमें जमीन उपजाऊ बारहनाजा वाली है खेती उपजाऊ व पंचायती जंगलों से घिरी हुई है। खेतीहर लोगों का प्रत्येक कार्य कर्मकाण्डी ब्राह्मणों द्वारा हल लगाना शुरू करना (स्यूं ज्वत) बोना (बीज बूतण) फसल […]
(Untitled)
हरजी सकल अयोध्या पानन छाजे। बमना छाजत नाई। हरजी इस बामन के धोखे दषरथ। बाँस कटन को जाय हरजी दषरथ राजा मछली ब्योतैं। अंगूठा लागी फाँस। हरजी दषरथ राजा की तीनों रनियाँ। रहना नींद न होय हरजी पहलो पहरा रानी कौषल्या। रहना नीद न होय हरजी दूसरो पहरा रानी सुमित्रा। रहना नींद न होय […]
पूरब दिशा से उतरी तोती हरिया चना को खेत पांउ को नेवर बाजे
नवीन बिष्ट पहाड़ की होली की अपनी अलग पहचान, ठसक है, मिजाज भी अलग आलू के गुटके, पोदीने भंगीरे चूक की चटनी, कालीमिर्च अदरक की टगमट चहा…अहा ! मेरे मित्र गोविंद पंत ‘राजू’ ख्यातिलब्ध पत्रकार जिनका देश दुनियां में बड़ा नाम है, का फोन आया कि नवीन भाई राजीवदा अमेरिका अपने बेटे के पास गए […]
उत्तराखण्ड: होली के लोक रंग संस्कृति को दर्शाती एक पुस्तक
सुरेन्द्र पुण्डीर फागुन के गीतों और प्रकृति के रंग-उल्लास से सराबोर होली पर्व का उत्तराखण्ड में विशेष स्थान है। हालांकि उत्तराखण्ड में प्रचलित होली गीत मूल रूप से मथुरा-बृज देश से आने के बाद ही यहां के लोक में घुल-मिलकर एक नये स्वरूप और अंदाज में समाहित हुए लगते हैं। इन होली गीतों ने उत्तराखण्ड […]
साजन! होली आई है!
साजन! होली आई है! साजन! होली आई है! सुख से हँसना जी भर गाना मस्ती से मन को बहलाना पर्व हो गया आज- साजन ! होली आई है! हँसाने हमको आई है! साजन! होली आई है! इसी बहाने क्षण भर गा लें दुखमय जीवन को बहला लें ले मस्ती की आग- साजन! होली आई है! […]
आशीष के आँखर
हमारी यादों में अमर हो चुके गिरदा की स्मृतियां सबके मन में जी रों लाख सौ बरीस नोटबन्दी के बाद की इस नए नोटों वाली पहली होली में, बदलने से बच गए, फांची फुन्तुरियों में दबे, बक्सों के नीचे अखबार की तहों में तहाए हुए या रुमालों की गाठों में बंधे हुए, हांडि़यों में या […]
सम्पादकीय हमारी होली उनकी दीवाली
उत्तराखण्ड के विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए इंतजार अब खत्म होने जा रहा है। एक बार फिर एक व्यक्ति हमारा मुख्यमंत्री बनेगा। कुछ मंत्री कहलाएंगे और कुछ बनेंगे बत्ती धारक। सत्ता फिर कुछ हाथों में खेलने लगेगी। फिर कुछ वादे होंगे। कुछ छलावे प्रकट होंगे और उत्तराखण्ड की अस्मिता पर फिर नए नए दाँव […]
बलमा घर आए फागुन में
सुन्दर सिंह बिष्ट अल्मोड़ा जनपद के गगास घाटी के चौरस खेतों में लहलहाते पीले सरसों के फूलों को देखकर मेरे बचपन का मन बार-बार अपने गांव की होलियों में उमड़ने-घुमड़ने लगता है। मेरे गांव जांख-बैनाली केे एक ओर एैड़ाद्यौ और दूसरी ओर दूनागिरी के सघन वनों से अटी पहाडि़यां हैं, जहां बांज, बुरांस, फल्यांट, मेल, […]
देहरादून- फालतू लाइन की होली और झुमालाला का ठप
अतुल शर्मा जिनका दिल उमंगों से भरा हो वही होली खेल सकता है। रंग ही रंग और तमाम गीतों की बौछारों के बीच होली का मज़ा। फालतू लाइन होली समिति देहरादून की 100 वर्षो से भी अधिक पुरानी हो चुकी होली की परम्परा-संस्कारों में बस गयी। कैसा लगता है, जब इस होली के विषय में […]
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