ग्रीस के ऋण संकट में फँसने और पिछले दिनों आर्थिक महाशक्ति कहे जाने वाले चीन के शेयर मार्केट में भारी गिरावट आने से पूरे विश्व की धड़कनें रुकने लगी थीं। फिलहाल जो शान्ति दिखाई दे रही है, वह सतह की खामोशी है। गहराई में देखने पर स्थितियाँ भयावह हैं। भारत में तो हालात ज्यादा ही खराब हैं। दरअसल बगैर आगा-पीछा सोचे मई 1991 में आर्थिक उदारीकरण के रास्ते पर जा कर हमने अपने लिये स्वयं ही खाई खोद डाली है। कहने को इस बीच हम एक बार राष्ट्रीय सकल आय में 9 फीसदी से अधिक की वृद्धि तक हासिल कर सके। लेकिन यह वृद्धि कुछ चुनिन्दा हाथों में ही जा रही है। सूचना प्रौद्योगिकी का विकास, नित नई कारें, एक्सप्रेस वे, मॉल, मल्टीप्लेक्स, मोबाइल, विविध उपभोक्ता सामग्री आदि सम्पन्नता का भ्रम पैदा करते हैं। मगर प्रति व्यक्ति आय की दृष्टि से हम अभी भी दुनिया में 133वें स्थान पर हैं। मानव विकास सूचकांक के आधार पर हम 136वें स्थान पर हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा कुपोषित कमजोर बच्चे भारत में हैं। वस्तुतः सरकारें, सरकार के झूठ को विश्वसनीयता का जामा पहनाने वाले विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री तथा इस जनविरोधी विकास की मलाई खा रहे कॉरपोरेट जगत द्वारा पोषित एवं नियंत्रित मीडिया चिल्ला-चिल्ला कर एक ऐसा माहौल बना देते हैं कि वास्तविक स्थिति लोगों की दृष्टि से ओझल ही रहती है। बहुत से बहुत लोग इतना ही समझते हैं कि बढ़ती हुई महंगाई कांग्रेस सरकार की देन थी, अब मोदी जी ‘अच्छे दिन’ ले आयेंगे। मगर इस रास्ते पर चल कर तो ‘अच्छे दिन’ उन्हीं के आयेंगे, जिनके दिन पहले से ही अच्छे थे। इन हालातों में भी प्रतिरोध कभी इतना मजबूत बन पड़ता है कि संसद में प्रचंड बहुमत के बावजूद नरेन्द्र मोदी सरकार को भूमि अध्यादेश वापस लेना पड़ा। मगर इतना साहस तो नरेन्द्र मोदी को भी नहीं हो सकता कि बड़प्पन के साथ यह स्वीकार कर सकें कि उनका प्रारम्भिक निर्णय गलत था और जन भावना का सम्मान करते हुए वे अध्यादेश वापस ले रहे हैं।
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जनमबार अंक -15
नुब्रा घाटी ना जाने का मलाल रहा….लेखक: केशव भट्ट October 1, 2015
जनपक्षीय और मिशनरी पत्रकारिता का एक और स्तम्भ ढहालेखक: नैनीताल समाचार September 30, 2015
श्रीकृष्णचरितामृत : प्रथम सोपानलेखक: नैनीताल समाचार September 30, 2015
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पत्रकारिता से मिशनरी भावना लुप्त हो गयी है…लेखक: गोविंद पंत 'राजू' September 30, 2015
सम्पादकीय : विश्वसनीयता का संकटलेखक: राजीव लोचन साह September 30, 2015
हमारी औकात से बाहर का विज्ञानलेखक: अनिल कार्की September 30, 2015
पुलिस कर्मियों का विरोध ..लेखक: इंद्रेश मैखुरी September 30, 2015
कचहरी जाना भी तो एक शगल हैलेखक: शंम्भू राणा September 30, 2015
कुमाउनी को मान्यता : मठपाल व पांडे सम्मानितलेखक: कैलाश चन्द्र पपनै September 30, 2015
हमने भी सस्ता जमाना देखा था….लेखक: तारा चंद्र त्रिपाठी September 30, 2015
जैसी भी थी उस शिक्षा व्यवस्था ने हमें मजबूत बनाया…लेखक: मदन मोहन पाण्डे September 30, 2015
होली अंक -2015
उत्तराखंड की होली को लेकर विदेशों में भी मची धूमलेखक: केशव भट्ट February 28, 2015
Category: संस्कृति
लेखक: नैनीताल समाचार February 26, 2015
Category: विविध
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आशीष के आंखरलेखक: नैनीताल समाचार February 27, 2015
Category: विशेषांक
कैसे खेलें तुम्हारे संग होली पिया…..लेखक: नैनीताल समाचार February 27, 2015
नहीं रहे हमारे मार्गदर्शक बुजुर्गलेखक: राजीव लोचन साह February 28, 2015
Category: श्रद्धांजली
संपादकीयलेखक: नैनीताल समाचार February 26, 2015
Category: सम्पादकीय
च्यूरा में गुण बहुत हैंलेखक: नैनीताल समाचार February 28, 2015
Category: विविध
सल्लाम वाले कुम, केशव अनुरागीलेखक: नवीन जोशी February 28, 2015
Category: व्यक्तित्व, संस्कृति
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- सुंदर नौटियाल on उस बरस आषाढ़ में पहाड़ – 3
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अपना उत्तराखंड
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अपने गाँवों को तुम जानो. 9 :मक्कूमठलेखक: उमा भट्ट February 28, 2015
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