वर्ष 40:अंक 24 II 1- 15 अगस्त 2017
जौलजीबी मेले का उद्घाटन, ‘पंचेश्वर’ को भूल गए सीएम
”मेले में सीएम हमारे मेहमान थे। इसलिए हमने उनका स्वागत किया और कोई भी विरोध प्रदर्शन उनके खिलाफ नहीं हुआ। लेकिन अगर पंचेश्वर बांध में हमें डुबोया जाएगा तो हम हर तरह से इसका विरोध करेंगे।” – जौलजीबी व्यापार संघ अध्यक्ष धीरेन्द्र धर्मशक्तू जौलजीबी: भारत और नेपाल की सीमा पर हर साल होने वाले एतिहासिक जौलजीबी […]
जीत के रुमाल को हिला के लेंगे उत्तराखंड
{यह आलेख नैनीताल नगर में 53 दिन तक चले ‘नैनीताल समाचार के सांध्यकालीन उत्तराखंड बुलेटिन’ के अंतिम दिन ‘फिर मिलेंगे’ शीर्षक से दिनांक 25 अक्टूबर 1994 को सुनाया गया था। बुलेटिन के बारे में विस्तृत जानकारी ‘पहाड़’ द्वारा प्रकाशित गिरदा के काव्य संग्रह ‘उत्तराखंड काव्य’ में उपलब्ध है} उत्तराखंड आंदोलन में इन दिनों एक असमंजस […]
हमारा कॉलम : समाचार का 36वें वर्ष में प्रवेश…..
इस अंक के साथ ‘नैनीताल समाचार’ अपने 35 वर्ष पूरे कर 36वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यात्रा के इस पड़ाव पर यह अविश्वसनीय लग रहा है कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच इतने लम्बे समय तक हम न सिर्फ समाचार का प्रकाशन जारी रख सके, बल्कि उसके तीखे-तर्रार तेवर भी कायम रख सके। […]
चिट्ठी -पत्री: वैब पत्रकारिता के लिये पुरस्कार?
नैनीताल समाचारउत्तराखण्ड की समसामायिक घटनाओं को प्रमुखता से प्रकाशन करने में अग्रणी पत्र रहा है और गत चौतीस वर्षों से निरन्तर प्रयासरत है। इसके लिये आपकी जितनी सराहना की जाये कम है। अपनी चुटीली क्षणिकाओं व मंचीय अभिव्यक्ति के लिये लोकप्रिय कवि शेरदा अनपढ़ का जाना आघात दे गया। आशा है नैनीताल समाचार गिर्दा की […]
समाचार की होली के पच्चीस साल
नैनीताल समाचारके पटाङण की होली बैठक इस 6 मार्च को अपनी रजत जयंती से भी आगे निकल गई। यह समाचार की होली का पच्चीसवाँ नहीं, छब्बीसवाँ साल था…. पिछले साल गिरदा के देहान्त के बाद 18 मार्च को सम्पन्न हुई पहली होली में, उसकी अनुपस्थिति में हम इतने हक्के-बक्के और असहाय जैसे रहे कि होली […]
चिट्ठी–पत्री: अखबार और संन्यास लेने की उम्र में शादी की घोषणा…
महंगाई के दौर में अखबार निकालना बड़ा मुश्किल काम है बहुत लंबे समय बाद अपना प्यारा नैनीताल समाचार इंटरनेट पर पढ़ कर दिल बाग-बाग हो गया। वे सारी तस्वीरें एक-एक कर सामने आने लगीं…… नैनीताल समाचार में छपा अपना पहला लेख और फिर वह लंबा सिलसिला! चलो राजीव दा को बधाई इस थाती को जिंदा […]
हमें बधाई तो दीजिये !
बधाई आप सबको। नहीं, बड़ा दिन या नये साल की नहीं। वह तो हर साल आते रहते हैं। यह तो खास-उल-खास मौका है….. दरअसल बधाई तो आपने देनी चाहिये थी मुझे। लेकिन आपको खबर हो तभी न आप बधाई देंगे ? बात यह है कि मैं अब ‘पत्रकार’ बन गया। हाँ…..हाँ मैं तो अपने को […]
मेरे सारे गुरुओं में सबसे अलग थे….
पिछले एक-दो साल से ऐसा बार-बार होने लगा है कि कुछ-कुछ दिनों बाद किसी न किसी करीबी के बिछुड़ने की खबर मिल जाती है। वैसे तो मृत्यु जीवन का शाश्वत सत्य है, मगर अपने किसी भी परिचित, करीबी या आत्मीय की मृत्यु मन को गहरे तक विचलित कर ही देती है। भगत दा का जाना […]
भगत दा ! मेरे हमदम मेरे दोस्त
‘अपने भीतर और बाहर की नमी और हरियाली खो देने के बावजूद मनुष्य के लिये सर्वाधिक निरापद है धरती जो हमें पाना है कदाचित उसी के दर्पण में हमारा बिम्ब है’ ‘अरण्य’ पत्रिका का सपना और ‘वनरखा’ को साकार कर सुधी पाठकों में वन, पर्यावरण, ग्राम्या का वैचारिक उजास फैलाने वाले अपने ‘भगत दा’ नन्द […]
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