वर्ष 40:अंक 24 II 1- 15 अगस्त 2017
जौलजीबी मेले का उद्घाटन, ‘पंचेश्वर’ को भूल गए सीएम
”मेले में सीएम हमारे मेहमान थे। इसलिए हमने उनका स्वागत किया और कोई भी विरोध प्रदर्शन उनके खिलाफ नहीं हुआ। लेकिन अगर पंचेश्वर बांध में हमें डुबोया जाएगा तो हम हर तरह से इसका विरोध करेंगे।” – जौलजीबी व्यापार संघ अध्यक्ष धीरेन्द्र धर्मशक्तू जौलजीबी: भारत और नेपाल की सीमा पर हर साल होने वाले एतिहासिक जौलजीबी […]
अपनी जड़ों से जुड़ने का माध्यम है कंडाली महोत्सव
तहसील धारचूला की चौदांस पट्टी रं संस्कृति के लिये जानी जाती है। चीन और नेपाल के सीमांत पर बसा चौदांस क्षेत्र अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों और अपनी विविध व बहुरंगी सांस्कृतिक विरासत के लिये जाना जाता है। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग के मध्य पड़ने वाला यह भाग मुख्यतः सोसा, सिर्धांग, पांगू, हिमखोला, जयकोट, रुंग, लुमखेड़ा, […]
अस्कोट अभयारण्य: मनुष्य को जानवर से हेय समझने की वही पुरानी दास्तान
अस्कोट और निकटवर्ती धारचुला-मुनस्यारी विकास हेतु छटपटा रहे हैं। प्राकृतिक आपदा से यहाँ का जनजीवन त्रस्त है। पुनर्वास की नीति स्पष्ट न होने से सरकार की इस गंभीर समस्या में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्हें मालूम है कि दैवीय आपदा पर्वतीय भूभाग में आती रहती है। उनके मकबरे को कोई खतरा नहीं है। बस कुदाल […]
आरक्षण पर व्यावहारिक समझ क्यों नहीं बनती ?
प्रस्तुति : बी.डी.वर्मा धारचूला-मुनस्यारी में विषम परिस्थितियों में रह रहे जनजातीय अनवाल समुदाय का अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने का संघर्ष विगत 40 वर्षों से जारी है। जून के महीने में नैनीताल में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष पांडियन के समक्ष अनवाल समुदाय के प्रतिनिधियों ने अपने को प्रदेश व केन्द्रीय स्तर पर ओ.बी.सी. […]
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