हरिश्चन्द्र चंदोला
उत्तराखंड के निवासियों की आर्थिकी उन्नत बनाये तथा उसकी चार धाम यात्रा को सहज बनाने,उसमें बद्लाव करने के काम पर फिलहाल विराम लग गया है. इस यात्रा को सहज बनाने उसकी सड़कों को चौड़ा किया जाना था. अभी उसकि चौड़ायी सात मीटर है, जिसे ग्यारह मीटर किया जाना था ताकि यात्रा सहज,सरल हो सके और अधिक से अधिक यात्री इस राज्य में आ सकें और इसकि आय में बढ़ोतरी कर सकें.
किन्तु इस योजना के अध्यक्ष,देहरादून के डॉ रवि चोपड़ा ने अपने पद से त्यागपत्र कुछ माह पूर्व दे दिया और अभी तक नया अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया गया, यह कब किया जायेगा ,इसकी कोई जानकारी नहीं दी गयी. योजना के अनुसार यात्रा मार्गो को चौड़ा करने से अधिक यात्री धामो में दर्शन करने आ सकेंगे तथा कम समय में उसे पूरा कर सकेंगे. यह योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गयी है.
इस काम के लिये पहाड़ की मिट्टी तथा पत्थर काट उनके ढेर मार्गो के किनारे लगाये गये हैं,जिससे उनकी चौड़ायी कम हो गयी है और यात्री बसों, गाड़ियों की गति बहुत धीमी हो गयी है. इसके कारन यात्रा में अधिक समय लग रहा है. यह अँम्बार इतने अधिक हैंँ कि उन्हे उठाने , अन्य जगह ले जाने में समय लगेगा.
इससे नदियों की मछलियों तथा अन्य जीवों के जीवन पर असर पड़ेगा और कुछ मर जायेंगे. पानी के कम होने से खेती तथा जंगलों पर प्रभाव पड़ेगा,पेयजल कम हो जायेगा. अभी नदियों का पानी बिजली के पंपो द्वारा गाँवों में पहुंचाया जा रहा है. पानी की कमी होने से गाँवों में हाय हाय होने लगेगी. राज्य सरकार इस कमी को कैसे पूरा करेगी?
अभी गाँवों से पलायन राज्य की बड़ी समस्या बन गया है. उसके बढ़ने से खेती का काम कम हो जायेगा तथा अन्न की कमी हो जायेगी. मकान बनाने पत्थर के मिस्त्री तथा बढ़यी /carpenter बाहर चले जाते है, जो हो रह है. खेती कम होने से लोग खायेंगे क्य? पलायन को रोकने सरकार तरह तरह के उपाय सोच रही है. उनमें से एक भी अभी तक सफल नहीं हो पाया.
यह तिब्बत[ चीन] से लगा सरहदी छेत्र है. आदमियों की कमी के कारण यह खाली होने लगेगा. अभी केवल साथ लगे नेपाल से ही यहाँ रह्ने-बसने, काम करने लोग आते हैं. कारीगरों की इतनी कमी हो गयी है कि उत्तरप्रदेश से बढ़यी यहाँ आ रहे हैं. उनके और आने से समस्या जटिल हो जायेगी. पलायन इस नये राज्य की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है. उसका बढ़ना राज्य के हित में नहीं होगा.
राज्य में समस्याओं के अम्बार लगने लगे है. यात्रा को बढ़ाना एक छोटा सा समधान है. उसकी सड़कों को चौड़ा करना उनमें एक है, जो उनकी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पायेगा.
राज्य की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. उसका कहाँ तथा क्या उपयोग किया जा सकता है?
खनिजों की खोज तथा उनका राज्य में उपयोग एक समाधान है. मार्गों को चौड़ा करना एक छोटा समाधान है, जो उसकी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पायेगा.
बढ़ती जंसंख्या का राज्य क्या उपयोग कर सकता है. अन्न के उत्पादन से राज्य को वस्तुओं के बनाने का छेत्र बनाया जाये. इसके लिये बड़ी पूंजी की जरूरत है, जिसका राज्य में नितांत अभाव है. खनिज भूमि के अंदर हैं. उनको निकालने के लिये पूंजी की बड़ी, जिसका राज्य में अभाव है. उनको निकालने के लिये बहुत धन की आवश्य्कता है. उनका उपयोग करना कठिन नहीं होगा. अभी सुई से लेकर बड़ी से बड़ी मशीन बाहर से बनकर आती है.
फलो का उत्पादन के लिये यह उत्तम छेत्र है. यहां संतरा,सेब,नारंगी,केला,अख्ररोट अच्छा पैदा होता है. एक सरकारी सेब का बागीचा जो जोशीमठ के उपर था, जो सालाना दो लाख रुपये की आय राज्य को देता था उसे बेच दिया गया. अब वह बंजर पड़ा है. वहां कुछ उगाने – बनाने के बारे में कुछ सोचा नहीं गया. चमोली के नाग्नाथ-पोखरी में जो पुरानी लोहे-तांबे कि खानें थीं वे अब बंद पड़ी हैं
ऊँचे पहाड़ों में एक छोटे लाल रंग काफल होता था, तथा बुरांस के फूल भी, जिनका रस औशधियो के काम आता था. अब उनको कोइ देखता भी नहीं.