उमेश भट्ट
उत्तराखन्ड राज्य आन्दोलनकारी सुंदर सिंह नेगी जी का 15 मई २०21 को निधन हो गया। वे 62 वर्ष के थे । वे राज्य आन्दोलनकारी संगठन के जिलाध्यक्ष थे ।
सुन्दर सिंह नेगी जी मूलतः रानीखेत के ग्राम तड़ी , ज्यूली के निवासी थे । नेगी जी ने जी ० आई0 सी ० नैनीताल से हाइस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की थी। वे उतराखन्ड के जनसरोकारों से सदैव जुड़े रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों के द्वारा फसलों का नुकसान हो या फिर बेरोजगारी की समस्या हो वे विभिन्न मंचों पर इन समस्याओं की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करते रहते थे। उत्तराखन्ड राज्य आन्दोलन में उन्होंने ने सक्रिय भूमिका निभाई , वे कई बार गिरफ्तार किये गये । 1996 में ‘राज्य नहीं तो चुनाव नहीं ‘ आन्दोलन के तहत भी उन्हें गिरफ्तार किया गया था ।
उत्तराखन्ड राज्य गठन के पश्चात 2005 में राज्य आन्दोलनकारियों के चिन्हीकरण में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने पूर्व विधायक नारायण सिंह जन्तवाल , प्रकाश पाण्डे, डा० सुरेश डालाकोटी , पान सिंह सिजवाली आदि के साथ जिलाधिकारी , वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय व जिले के विभिन्न थानों में जाकर राज्य आन्दोलनकारियों के चिन्हीकरण का कार्य किया। वे वर्ष २००6 से उत्तराखन्ड राज्य आन्दोलनकारी संघ के जिलाध्यक्ष रहे।
‘ सुंदर दा ‘ नैनीताल शहर के भवाली रोड में ‘ शेर ए कुमाऊं ‘ के नाम से किराये में रैसटोरेन्ट चलाते थे । किराये में दुकान चलाने के बावजूद वे राज्य आन्दोलनकरियों के मुद्दे तथा राज्य के ज्वलनशील मुद्दों पर होने वाले कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी करते थे । प्रदेश सरकार द्वारा गठित ( २०० 4- 05) परिसीमन आयोग का उन्होंने अपने साथियों के साथ पुरजोर विरोध किया। वे अपनी दुकान में आने वाले आन्दोलनकारियों की समस्या को लेकर चर्चा करते रहते थे । उन्होंने राज्य गठन के बाद हर मुख्यमंत्री से आन्दोलनकारियों के हितों को लेकर बातचीत की।
बेरोजगारी के लिये हमेशा चिन्तित रहने वाले सुंदर दा ने जीवन पर्यन्त संघर्ष कर , अपने परिवार का भरण पोषण किया। पिछले दो वर्ष से वे रोजगार को अनिश्चितता को लेकर परेशान थे । यह विडम्बना ही है कि रोजगार के लिये आन्दोलित रहने वाले सुंदर दा जीवन भर खुद के रोजगार के लिये संघर्ष करते रहे और अपने भविष्य की अनिश्चितता के भय को दिल में सहेजे रहे और तीव्र हृदयाघात ने उनके जीवन को समाप्त कर दिया ।