विनीता यशस्वी कभी-कभी कुछ संयोग ऐसे बनते हैं जो हमेशा के लिये बहुत प्यारी और मीठी यादें दे जाते हैं। ऐसा ही कुछ संयोग 27 तारीख को बना जब अचानक ही बच्चों के एक पुस्तकालय में जाने का मौका मिल... Read more
दिनेश कर्नाटक ‘अमेरिका में मेरे दो वर्ष’ आजीवन गांधीवादी सिद्धांतों पर चलने वाले स्वर्गीय गोपाल दत्त पांडे की सन 1960-61 में अमेरिका में बिताए दो वर्ष की डायरी है। हाल ही में कर... Read more
राजेश जोशी मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में जब ख़ामोशी से पढ़ते हुए छात्रों पर अचानक पुलिस ने लाठियाँ भाँजना शुरू किया और किताबों को फाड़ डाला…. मुझे तो तब... Read more
रमदा पिथौरागढ़ में चल रहा “ शिक्षक-पुस्तक आंदोलन ” कई वजहों से अपने आप में अनूठा है। प्याज़ की मानिंद तमाम परतें हैं उधाड़ते जाइए और उत्तराखंड की उच्च शिक्षा का कच्चा चिट्ठा अपनी पूरी नंगई के... Read more
योगेश भट्ट ‘जनता द्वारा’, ‘जनता के लिए’, ‘जनता की सरकार’, लोकतंत्र की परिभाषा में सरकार की यह प्रचलित अवधारणा है । सरकार को लेकर इस अवधारणा पर उत्तराखंड में आज बड़ा सवाल है । राज्य के सुदूर... Read more