समाचार डैस्क
देहरादून के नगर निगम सभागार में 3 जुलाई 2022 को कमल जोशी के परिवार और कमल के चाहने वालों ने उन्हें हृदय से याद किया।
कमल जोशी स्मृति समारोह के इस कार्यक्रम का संचालन गीता गैरोला एवं बीना बेंजवाल ने संयुक्त रूप से किया।
संभावना प्रकाशन से प्रकाशित एवं उमा भट्ट तथा गीता गैरोला द्वारा सम्पादित कमल जोशी का कविता संग्रह ‘ खिला रहे वसन्त वन ‘ का लोकार्पण इस कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण था। इस पुस्तक के बारे में गीता गैरोला ने बताया कि कमल की कविताओं को सर्वप्रथम ढूंढा गया और ये ढूंढना चीथड़ों का संग्रह करना था। इन चीथड़ों को ढूंढ कर कागजों में चिपकाया गया, तब लिखी गई कविताएं अपने आकार में आ पाईं । इसके बाद ही यह सम्भावना प्रकाशन से पुस्तकाकार में प्रकाशित हुर्ई। समारोह के प्रथम वक्ता, प्रसिद्ध कवि राजेश सकलानी ने नया साल मुबारक, तुम, दूसरा सूरज आदि कई कविताओं का जिक्र करते हुए कहा कि कमल की कविताएं, प्रेम कविताएं हैं।
सकलानी जी के वक्तव्य के उपरान्त प्रसिद्ध छायाकार भूमेश भारती जी को कमल जोशी फोटोग्राफी सम्मान दिया गया। अपने आभार वक्तव्य में भावुक होकर भारती जी कि ने कहा फ़ोटोग्राफ़ी एक कला है, इस कला का सम्मान करें।
उत्तराखन्ड विधानसभा की प्रथम महिला अध्यक्ष ऋतु खन्डूरी ने कहा कि वह गर्व महसूस करती हैं कि महिलाएं पहले से बहुत बेहतर स्थिति में हैं। उनके वक्तव्य पर संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए संचालक गीता गैरोला ने कहा कि वर्तमान सरकार के पास दस प्रतिशत बजट भी महिलाओं के लिए नहीं है।
इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, बनारस से विशेष रूप से आए डा० गौतम चटर्जी ने कबीर पर गम्भीर और अति रोचक जानकारियां दीं। उन्होंने बताया कि जो हमें पढ़ाया जाता है वह कबीर का 5 प्रतिशत है, बाकी 95 प्रतिशत तो हमें पढ़ाया ही नहीं जाता। कबीर की जानकारी देने वाले लेखकों में उन्होंने क्षितिमोहन सेन, हजारी प्रसाद द्विवेदी और ठाकुर जयदेव सिंह का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कबीर का जो 95 प्रतिशत भाग हमारी जानकारी में आ ही नहीं पाया, वह है बृहत्तर चेतना और बृहत्तर चेतना को कबीर ने सन्ध्या भाषा में व्यक्त किया है।
राजीव लोचन साह ने 1978 में कमल से हुई पहली मुलाकात के बारे में बताते हुए उस फोटो को खींचे जाने का जिक्र किया जो कमल जोशी ने रोपाई वाले खेत के पानी में उतरकर खींची थी। उन्होंने कहा कि युगवाणी में छपे इस फोटो से पता चलता है कि वह महिलाओं के प्रति कितनी संवेदना रखते थे।
पद्म श्री बसन्ती बिष्ट ने हुड़किया बौल के वक्त गाए जाने वाले लोक गीत एवं राजुला मालूशाही का सुन्दर गायन प्रस्तुत किया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने सूचना विभाग में कार्यरत होने और पत्रकार के रूप में कमल जोशी के वहां आते रहने का जिक्र करते हुए बताया कि कमल जोशी उन्हें बिना संगीत के रिकार्ड करना चाहते थे। पर उन्होंने अफसोस जाहिर किया कि ऐसा नहीं हो पाया । उन्हें आश्चर्य था कि सब कुछ साझा करने वाले कमल जोशी ने अपना दुख किसी से साझा नहीं किया। नरेन्द्र नेगी जी ने इसी भाव से जुड़ा अपना गीत भी मंच से प्रस्तुत किया।
कमल जोशी के परम मित्र डा० शेखर पाठक इस कार्यक्रम के अन्तिम वक्ता थे। उन्होंने कमल के साथ जुड़े कई प्रसंगों को श्रोताओं के साथ साझा किया कि कैसे दमे जैसी खतरनाक बीमारी और दवाओं से पैदा जबरदस्त जलन के बावजूद कमल ने 1984, 1994 और 2014 की 45-45 दिन की पदयात्राएं पूर्ण की। उन्होंने जोशी परिवार सहित कमल के मित्रों यानी कमल के बृहत्तर परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक धन्यवाद देते हुए कमल जोशी पर 24 जनवरी 2O23 तथा 3 जुलाई 2023 को होने वाले कार्यक्रमों की संभावित रूपरेखा भी खींची।
विभिन्न विधाओं में दखल रखने वाले कमल जोशी के उन मित्रों की संख्या भी अनगिनत है जो कि अलग- अलग क्षेत्रों में पारंगत हैं। इसी कारण से उनकी स्मृति में किया गया 3 जुलाई का यह कार्यक्रम भी गायकों, छायाकारों, घुमक्कड़ों, वक्ताओं, पत्रकारों आन्दोलनकारियों का अद्भुत मिलन था। उम्मीद है कि विभिन्न क्षेत्रों में रुचि रखने वाले ये लोग भविष्य में पुनः कमल जोशी के सहारे मिलते रहेंगे।