अतुल सती
आज 7 फरवरी है । आज उस आपदा को सालभर हो गया जिसने 200 से ज्यादा लोगों को एक बार में लील लिया । सालभर में बहुत कुछ हुआ मगर पीड़ितों को जो राहत मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली । आज रिणी में होने की इच्छा थी परन्तु चुनाव की परिस्थिति ने बांध दिया है ।
रिणी के लोगों की मांग थी कि उनका गांव आपदा के बाद खतरे में आ गया है इसलिए उनका विस्थापन किया जाय । जो नहीं हुआ । आपदा पीड़ितों को मुआवजा भले आधा अधूरा मिल गया हो परन्तु न्याय नहीं मिला ।
हमारी न्याय पाने की अर्जी अदालत में लंबित है । एक अदालत ने तो न्याय करने के बजाय हमारे घावों पर मिर्च का बूरा ही छिड़क दिया । बजाय हमारी पीड़ा को सुनने उस पर न्याय करने के उसने आपदा पीड़ितों पर ही जुर्माना लगा दिया । हमारी मांग थी ही क्या यही कि आपदा के जिम्मेदार लोगों की जिम्मेदारी तय हो । जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही हो । रिणी के लोगों का विस्थापन पुनर्वास हो ।इसपर सुनवाई के बजाय हमारी पहचान पर सुनवाई हुई । इसके खिलाफ हम सर्वोच्च न्यायालय गए । वहां याचिका लंबित है । महीनों से सुनवाई के इंतजार है.
जो परियोजना बनाने वाली कम्पनियों की लापरवाही लोगों की जान जाने का कारण बनी उनके ऊपर न जिम्मेदारी तय हुई न ही भविष्य के लिए चेतावनी मिली । जिसका नतीजा हुआ कि एनटीपीसी ने आज तक भी अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित नहीं किया । आपदा के बाद पूरा जोशीमठ क्षेत्र भू धंसाव से प्रभावित हुआ है । भूमि पर जगह जगह दरारें पड़ रही हैं । घर मकान दरारों के चलते टूट रहे हैं । तपोवन से लेकर सेलँग तक जमीन धंस रही है । लोगों का स्पष्ट मानना है कि एनटीपीसी की सुरंग इसकी मुख्य वजह है । हमने मांग की थी कि पूरे क्षेत्र का व्यापक भूगर्भीय सर्वेक्षण उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर किया जाय । इसको लेकर प्रदर्शन भी किया गया । किन्तु सरकार को लोगों की इस वास्तविक समस्या से कोई लेना देना नहीं । क्योंकि उनको पता है कि वोट तो वो लोगों से किन्ही और मुद्दों पर राम के नाम पर ले ही लेंगे ।
आपदा के सालभर बीतने पर पत्रकार पूरन बिनवाल ने एक लेख लिखा है जिसमे विस्तार से अन्य पहलुओं को रखा है ।
हम हिमालय के प्रति प्रकृति के प्रति संवेदनशील होकर,संसाधनों की अंधाधुंध लूट को रोक कर, परियोजना बनाने वाली कम्पनियों को जिम्मेदार बनाकर व आपदा के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित कर 7 फरवरी की आपदा में जान गंवाने वाले 206 लोगों को श्रद्धांजली दे सकते हैं । इन 206 लोगों में से 135 ही लोगो के अभी तक शव बरामद हुए हैं । जिनमे अधिकांश उनके परिजनों तक पहुंचे भी नहीं । भविष्य में आपदाओं को रोकना है तो गुजरी हुई आपदा से सबक लेने ही होंगे । हिमालय में हो रहे विकास को यदि ठीक से नियंत्रित नहीं किया गया तो भविष्य में और भी बड़ी आपदाओं के लिए तैयार रहना होगा ।