विवेकानंद माथने
आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कारण भयानक स्थिति में पहुंच चुकी है। अगर हम अभी भी सावधान नही हुये तो पूरी दुनिया को उसकी बडी कीमत चुकानी पड सकती है। भारत जैसे 138 करोड की आबादी वाले देश के लिये, जहां जनसंख्या घनत्व बहुत ज्यादा है, यह खतरा और बढ़ जाता है।
कोरोना संक्रमित व्यक्ति का संपर्क होने से या फिर कोरोना संक्रमित व्यक्ति के बोलते, खांसते या छींकते समय बाहर पडे बूंदों के संपर्क में आनेसे कोरोना वायरस का संक्रमण होता है। एक बूंद में लाखों कोरोना वायरस होते है। ऐसी बूंदों मे अलग अलग सतह पर कोरोना वायरस 10 मिनट से लेकर अधिकतम 3 दिन तक जीवित रह सकते है। संक्रमित सतह के संपर्क में आने से और हाथ का आंख, मुंह, नाक को स्पर्श होने से कोरोना शरीर में प्रवेश करता है। इस प्रकार एक से दूसरा व्यक्ति संक्रमित होता है और ऐसे हर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आनेसे इसकी एक श्रृंखला बनती जाती है और वह तेज गति से समाज में फैलता है।
विदेश से आये संक्रमित व्यक्ति से किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमण होना स्टेज 1 माना गया है। इन संक्रमित व्यक्तिओं का दूसरे अनेक व्यक्तिओं तक पहुंचाना स्टेज 2 माना गया है और जब यह संपर्क एक से दो और दो से अनेक ऐसी एक श्रृंखला की तरह सामुदायिक संक्रमण होता है तब हम स्टेज 3 में पहुंचते है। तीसरे स्टेज में वह समाज में तेजी से फैल जाता है। भारत अब स्टेज 3 में प्रवेश कर रहा है।
विदेश से भारत में संक्रमित लोग आये। उन्होंने संपर्क में आये अनेक स्थानीय लोगों को संक्रमित किया। फिर स्थानिय संक्रमित व्यक्तियों ने उनके संपर्क में आये अनेकों को संक्रमित किया। यह अनेक संक्रमित लोग गावों में वापस लौटकर अपने साथ कोरोना को अपने गांव और अपने घर ले गये। एक श्रृंखला बनती गई। आज हजारों कोरोना कैरियर पूरे देश में गावों, कस्बों, छोटे-बडे शहरों में पहुंच चुके है। इसके कारण देश में कोरोना तेजी से फैल रहा है और फैलता जायेगा। यह एक सुनामी का रुप धारण कर सकता है।
कोरोना एक नये प्रकारका वायरस है। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस ज्यादा खतरनाक नही है। जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत है, वह आसानी से कोरोना वायरस का मुकाबला कर सकते है और जीत सकते है। संक्रमित लोगों में लगभग 80 प्रतिशत सामान्य उपचार से ठीक हो जायेगे। सामान्य बुखार के लक्षणों के साथ यह बीमारी ठीक हो जाती है। सामान्यत: तापमान वृद्धि के साथ अनेक वायरस मर जाते है। लेकिन करोना पर इसका प्रभाव पडता नही दिखाई दिया। लेकिन यह माना जा रहा है कि भारत में तापमान वृद्धि के साथ कोरोना थोडा कमजोर पड सकता है।
कोविद 19 से मृत्यु का दर मात्र 3 प्रतिशत के आसपास है। दूनियां के आंकडे बताते है कि जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत है ऐसे 10 से 40 साल की उम्र के व्यक्तिओं का मृत्यु का प्रमाण नही के बराबर है। गर्भवती महिलायें और दस साल से छोटे बच्चे, जिनमें प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह मजबूत नही हुई हो और 50-60 साल की आयु के बाद खासकर पहले से जिनको कई सारी बीमारियां है और जिसके कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पडी है, उनपर यह वायरस भारी पडता है, जिससे उनके जान को खतरा हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर में कोरोना 8 से 37 दिन तक निवास करते देखा गया है।
अगर कोरोना इतना खतरनाक नही है और मृत्यु दर केवल 3 प्रतिशत के आसपास है, तो फिर दुनिया में कोरोना वायरस का इतना डर क्यों फैला है? इसलिये कि इससे जितने अधिक लोग संक्रमित होंगे उतने अधिक लोग मरेंगे। इस समय दुनिया की आबादी 770 करोड और भारत की आबादी 138 करोड है। मान लीजिये इसमें से 10 प्रतिशत लोगों में भी यह फैलता है तब दुनियांभर में 77 करोड लोग और भारत के 13.8 करोड लोग संक्रमित होंगे। 3 प्रतिशत के मृत्यु दर से दुनिया भर में 2.31 करोड और भारत में 41 लाख लोगों के लिये जान खतरा हो सकता है। जिस प्रमाण में कोरोना फैलेगा उसी अनुपात में लोगों को मृत्यु का सामना करना पडेगा। कहा जा रहा है कि भारत में कोरोना 20 प्रतिशत से भी ज्यादा लोगों को संक्रमित करेगा। यह एक भयंकर स्थिति है और यही कारण है कि पूरी दुनिया इससे डरी हुई है।
जबतक कोविद 19 पर कोई इलाज नही मिलता तबतक कोरोना से संक्रमित होने से बचना एकमात्र उपाय है। जबकि वह पूरे देश में फैल चुका है और आप कही भी संक्रमित व्यक्ति या संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकली बूंदो से संक्रमित सतह के संपर्क में आने का खतरा बन गया है। ऐसी परिस्थिति में अपने आपको घर में बंद रखना ही कोरोना से बचने का उपाय है। इससे ही लोगोंकी सुरक्षा होगी।
कोरोना वायरस का बाह्य आवरण कमजोर होने के कारण किसी भी साबू से 20 सेकंद से ज्यादा समय तक 7 स्टेप्स के साथ हाथ धोने पर उसका बाह्य आवरण टूटने से वह मर जाता है। इसलिये डॉक्टरों ने बारबार साबू से हाथ धोने की सिफारिश की है। साथ ही जीस सतह पर कोरोना पडा है, वहां 24 घंटों से अधिकतम तीन दिन में कोरोना वायरस मर जायेगा। आपके घर में बाहर से आ रहे किसी भी वस्तु जैसे अखबार, दुध का पॉकेट या अन्य ऐसी चिजों के माध्यम से भी वह आपके घर में प्रवेश कर सकता है। इसलिये अभी बाहर से कोई भी वस्तु घर में ना लाये। अगर कुछ लाना जरुरी हो तो पॉकेट साबू से धोकर या कमसे कम 24 घंटे अलग रखकर बादमें उसका इस्तेमाल करना उचित होगा।
घर, पडोस, गांव या शहर में संक्रमित व्यक्ति को अलग रखकर उसका उपचार करना होगा। लेकिन कोरोना के लक्षण प्रकट होने में 14 दिन तक का समय लग सकता है और 21 दिनों में पेशंट की स्थिति स्पष्ट होगी इसलिये कर्फ्यू कमसे कम 21 दिनोंतक रखना ही होगा। लेकिन हम ठीक से सावधानी नही बरतते इसलिये उसे तब तक कर्फ्यू बढाने की जरुरत पडेगी जब तक की उसका फैलाव नियंत्रित नही होता। इसलिये जितनी दक्षता हम लेंगे और बचाव के उपायों का पालन करेंगे उतने जल्दी हम संकट से बच पायेंगे। यह कर्फ्यू दो तीन महिने से अधिक भी बढ सकता है।
इसलिये सबको सरकारों द्वारा लगाया गये कर्फ्यू को सहयोग करना होगा। अनावश्यक रुपसे घूम रहे लोगों को प्यार से समझाकर रोकना होगा। वृद्ध माता पिता को वृद्धाश्रम में रखा हो तो पुलिस की अनुमति लेकर उनको घर लाकर सेवा करिये। कही ऐसा ना हो कि फिर जिंदगी भर पछताना पडे। अपने गावों में प्रशासन की सहमति से कोई भूका ना रहे इसकी व्यवस्था करनी होगी। केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तरप्रदेश और दिल्ली सरकार गंभीरता से उपाय कर रही है। बाकी राज्य भी करे। कर्फ्यू को सभी सहयोग करिये। देश की जनता को खुद से अनुशासन का पालन करना होगा। यह देश के लिये एक अनुशासन पर्व है
किसानों की खेत में पडी फसलें घर लाने की व्यवस्था करनी होगी। इसलिये भी कि अगर संकट लंबे दौर तक चलता है तो देश को खाद्यान्य की कमी ना पडे। किसानों को हो रहे नुकसान के लिये उन्हे नुकसान भरपाई की व्यवस्था करनी होगी। सरकारों के सारे उपाय संगठित क्षेत्र और विभिन्न योजनाओं में रजिस्टर हुये लोगों के लिये दिखाई दे रहे है। उन्हे ध्यान रखना होगा कि ऐसे लाखों लोग देश में रहते है जो कही भी रजिस्टर नही होंगें उनके लिये अधिक जिम्मेदारी के साथ व्यवस्था करनी होगी। अनाथ, भिखारी इनके बारेमें भी सोचना होगा।
सभी अत्यावश्यक सेवाओं में लगे लोगों के लिये जरुरी साधन उपलब्ध करवाने चाहिये। कोरोना टेस्टिंग लैब, वेंटीलेटर, दस्ताने, मास्क उपलब्ध कराने चाहिये। दूसरी अत्यावश्यक सेवा देने वालों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तेजीसे कदम उठाना चाहिये। जिन राज्यों के पास आर्थिक साधन नही है उन्हे तत्काल मदद करनी चाहिये। यह दुर्भाग्य पूर्ण है कि देश में कमी के बावजूद और विश्व स्वास्थ संगठन के चेतावनी के बावजूद भारत सरकार ने कलतक व्हेंटीलेटर, मास्क का निर्यात किया है।
अगर कर्फ्यू के दिनों में सरकार ने उचित प्रबंध नही किया तो भारत में भुकमरी का संकट पैदा होगा। हमारे देश में कमसे कम 60 करोड लोगों को मजदूरी करके ही खाना नसीब होता है। 20 करोड लोगों के पास आज भी खाने के लिये कुछ नही है। इतनी बडी जनसंख्या के लिये गंभीर संकट पैदा होगा। जैसे जैसे कर्फ्यू की समय सीमा बढेगी वैसे वैसे भारत में भुकमरी का संकट उतना ही गंभीर रुप धारण कर सकता है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर सरकारों ने अभीतक कोई ठोस उपाय नही किये। अगर भुकों के लिये भोजन नही दिया गया तो कोरोना के साथ साथ भुकमरी से भी लोग मर सकते है।
केंद्र सरकार को पूरे देश के लिये एकिकृत और व्यापक योजना बनानी चाहिये थी। लेकिन वह सारी जिम्मेदारी राज्योंपर डाल कर केवल राज्य सरकारों को दिशानिर्देश देने का ही काम करती दिख रही है। इससे आर्थिक दृष्टीसे कमजोर राज्यों के लोगों को बडी कीमत चुकानी पडेगी। सरकार के पास इतना समय था कि वह बुनियादी चीजों की आपूर्ति के साथ चरणबद्ध तरिके से कर्फ्यू लगाते लेकिन वह कोरोना की गंभीरता को नही समझ पा रहे। अब इसका खामियाजा सबको भुगतना पडेगा। प्राथमिक अनुमान के अनुसार कोरोना संकट का सामना करने के लिये एक लाख करोड रुपयों की जरुरत है। लेकिन केंद्र सरकार व्दारा केवल 15 हजार करोड रुपयों का प्रावधान किया है।
हमने पहले ही बहुत देर कर दी है। दुनिया में कोरोना का पहला परिचय 17 नवंबर को चायना में हुआ, जो दिसंबर मे दुनिया के सामने आया। भारत में कोराना का प्रवेश 30 जनवरी को केरल में ध्यान में आया। चायना के अनुभव के बाद हमारे पास पर्याप्त समय था कि हम बाहर से आनेवाले लोगों को ठीक से जांच पडताल करके प्रवेश देते। उन्हे आयसोलेशन में या क्वारंटीन में रखते। लेकिन हमने ऐसा कुछ नही किया। पहले हम अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष के लिये रेड कारपेट बिछाने में व्यस्त रहे और फिर शाहीन बाग को निमित्य बनाकर हिंदू मुस्लिम का खूनी खेल खेलते रहे। फिर चुनाव और सरकार गिराने में मस्त रहे। मार्च 10 के बाद जब थोडी फुरसत मिली तब सरकार ने काम शुरु किया। तब तक करोना ने पूरे देश में पैर पसार लिये थे।
इसका दोष केवल माननीय प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी को नही दे सकते। इसमें वह सब भागीदार है जो कारपोरेट मीडिया के साथ इन खेलों में खुशियां मना रहे थे। और फिर उस सेनापति को क्या कहे जो युद्ध के आरंभ में ही विजयोत्सव मनाये। लेकिन ध्यान रखे, इतनी भी थालीयां न बजाये कि जब अपने घर में किसी के मौत होगी तब अपना माथा और छाती पीटने के लिये हमारें हाथों में ताकद ही न बचे।