डॉ. हरिसुमन बिष्ट हिमालय हमारी आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र रहा है, भारतीय ज्ञान, दर्शन, सोच-विचार, हर्ष-विषाद, अवसाद-उल्लास, गीत-संगीत, हास्य-रुदन, पलायन-संघर्ष, काम-क्रोध, दया-धर्म, रीति-रिव... Read more
मदन चन्द्र भट्ट आज भारतभर में फैले उत्तराखण्डी यह भंली-भाँति जानते हैं कि शहीदों के खून से सिंचित उत्तराखण्ड आन्दोलन अभी जारी है। आन्दोलन के दो मुख्य उदेश्य थे- 1. गैरसैंण में राजधानी बनाना।... Read more
महीपाल सिंह नेगी बात आज से 127 साल पुरानी है। 1893 की बात। अंग्रेजों का राज था। अलकनंदा नदी की सहायक नदी है, बिरही गंगा। गौना गांव के निकट पहाड़ी टूटी और बिरही गंगा का प्रवाह अवरुद्ध हो गया... Read more
राजीव लोचन साह समाज को कैंसर से बचाने के लिये सिगरेट या गुटखा न बेचने वाला वंशी पनवाड़ी अन्ततः 16 जनवरी को कैंसर से ही इस दुनिया को अलविदा कह गया। मेरा बाजार का, बल्कि ईमानदारी से कहा जाये तो... Read more
नवीन बिष्ट आंखों में काला चश्मा, कान में मोबाइल लगाए, करीने से की गई केष सज्जा, काली पैन्ट अथवा जीन्स और सफेद या आफव्हाइट कलर की शर्ट पहने अलमस्त चाल में बतियाते अच्छी कदकाठी याने कि गबरू नौ... Read more
-इन्द्रेश मैखुरी 11 जनवरी 1948 को कीर्तिनगर में कामरेड नागेन्द्र सकलानी और कामरेड मोलू भरदारी की शहादत, टिहरी में राजशाही के खात्मे के परवाने पर निर्णायक दस्तखत सिद्ध हुई. यह वही राजशाही थी... Read more
डा अतुल शर्मा महान पर्यावरण विद् श्री सुन्दर लाल बहुगुणा 95 बरस के हो गये हैं । यह एक ओर उनको मंगलकामना देने का तो है ही साथ ही उस पूरी यात्रा को गहन तरह से सोचने का भी है जो अमिट है । विश... Read more
हेमंत बिष्ट अनिल भोज जी का इस संसार को छोड़कर जाना, कई क्षेत्रों में शून्यता भर गया। एक भौतिक विज्ञान प्रवक्ता के रूप में सुदीर्घ सेवा करते हुए वह साहित्य, संस्कृति और कलाओं के प्रति समर्पित... Read more
मिथिलेश कुमार सिंह ‘खबर सिर्फ इतनी नहीं है कि 1948 में टिहरी गढ़वाल के काफलपानी गांव में वह पैदा हुआ था, पढ़ाई- लिखाई देहरादून में हुई, नौकरी उसने देश के मुख्तलिफ शहरों में की, वह कवि... Read more
प्रियदर्शन ‘पहाड़ों की यातनाएं हमारे पीछे हैं, मैदानों की हमारे आगे.’ जर्मन कवि बर्तोल्त ब्रेख्त की यह काव्य पंक्ति मंगलेश डबराल को बहुत प्रिय थी और अक्सर वे इसे दोहराया करते थे.... Read more