वर्ष 40:अंक 24 II 1- 15 अगस्त 2017
ग्राम गणराज्य अंक और तीसवां जनमबार
इस अंक के साथ ‘नैनीताल समाचार’ अपने जीवन के तीस वर्ष पूरे कर इकतीसवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। हमारा यह जनमबार अंक ‘ग्राम गणराज्य’ अंक के रूप में प्रकाशित हो रहा है। 2007 का यह वर्ष कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह आजादी का हीरक जयंती वर्ष है, तो 1857 में लड़ी गई […]
क्या एन.जी.ओ. बनायेंगे कानून ?
ऐसी आशा तो नहीं की जा सकती कि नया पंचायत राज विधेयक उत्तराखण्ड की जनता की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करेगा। क्योंकि हमारे विधायकों के पास उत्तराखण्ड के सवालों पर सही समझ का अभाव है। उन्हें यह जानकारी ही नहीं होती कि उन्होंने जो विधेयक ध्वनिमत से पास किया था, उसमें वास्तव में था क्या। नीति […]
अधिकार तो देर सबेर देने ही होंगे
केन्द्रीय व्यवस्था आम आदमी तक पहुँच बनाने की अवधारणा से ही कटी हुई होती है। राजशाही में भी आम जन तक वही व्यवस्थायें पहुँची हैं जो अधिकतम विकेन्द्रित रही हैं। यह इतिहास के अनेक उदाहरणों में देखने को मिलता है। लोकशाही में केन्द्रीकरण के पक्षधर अलोकतंत्र की प्रेतच्छाया के पुजारी हैं। लोकतंत्र जनता का राज […]
यह अधूरा पंचायत राज तो ग्राम गणराज्य नहीं है
जब पंचायतों की विधायिका, वित्त और योजना आयोग नहीं होते तब तक उसे ‘राज’ कैसे कह सकते हैं स्वाधीनता संग्राम के शुरूआती दिनों में देश के कर्णधारों ने देश की राजनीति का जो ‘मॉडल’ चुना वह ‘वेस्टमिन्स्टर’ मॉडल’ था। गांधी ने इसे देश का दुर्भाग्य माना और अपनी एक छोटी सी पुस्तिका ‘इंडिया होम रूल’ […]
केरल और बंगाल से सबक लें
प्रस्तुति : गंगाधर नौटियाल देश को गर्त की तरफ ले जाने वाली जन विरोधी व्यवस्था का विकल्प सत्ता का विकेन्द्रीकरण कर गाँव पंचायत, नगर पंचायत या नगरपालिकाओं को शक्तिशाली बनाकर नियोजन में जनता की भागीदारी से ही संभव है। राजशाही और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खात्मे का यही उद्देश्य था और सही मायने में लोकतंत्र भी […]
‘मुझे कोई नहीं चाहता’
अभी हाल में रायपुर में देश में पचायती राज की समीक्षा हो रही थी। केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के मंत्री गण, अधिकारी और पंचायती राज संस्थाओं के पदाधिकारी शामिल थे। दिल्ली विश्वविद्यालय से अवकाशप्राप्त अर्थशास्त्र की विदुषी प्रोफेसर ने ग्राम सभाओं की आज की स्थिति को काव्य रूप में प्रस्तुत किया। ‘‘मुझे कोई नहीं […]
जल, जंगल, जमीन के अधिकार सुनिश्चित हों
14 वर्ष बीत जाने के पश्चात भी स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने हेतु पंचायती राज संस्थाओं को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अधिकार नहीं मिल पाये और पंचायती राज महज केन्द्र तथा राज्य सरकार की योजनाओं को ढोने का तंत्र बनकर रह गया है। सत्ता व समुदाय में संघर्ष हमेशा संसाधनों […]
अब रेम्को वान सांटेन बचायेंगे नैनीताल को
नैनीताल में स्थायी रूप से रहने वाले लोग इसकी खूबसूरती को लेकर उतने आश्वस्त नहीं रहते, जितनी इसकी दुर्दशा को लेकर चिन्तित रहते हैं। हर कोई जिसने चालीस-पचास साल पहले का नैनीताल देखा है, आज के नैनीताल को देख कर सिर पकड़ लेता है। लगभग पन्द्रह साल पहले जर्मनी के ब्लैक फॉरेस्ट इलाके में घूम […]
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